Director Message

वर्तमान आर्थिक वैश्विकरण एवं निजीकरण ने शिक्षा के गुणात्मक पहलुओ को नष्ट कर देश की शैक्षणिक व्यवस्था को बाजार का रूप दे दिया है। ऐसी विकट परिस्थतियो में शिक्षा के मूल स्वरूप को बनाये रखना एक गंभीर चुनौती है। सरस्वती विद्या मंदिर ज्ञानोपार्जन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। यह संस्थान न केवल बौद्धिक प्रतिभाओं को निखारने के सुअवसर प्रदान करता है अपितु विद्यार्थी को जीवन मूल्यों से साक्षात्कार करवाते हुऐ उन्हें मनुष्य बनने में सहायता प्रदान करता है। संस्थान का ध्येय शिक्षार्थी को समझदार, ईमानदार, जिम्मेदार एवं बहादुर बनाना है, ताकि वो आगे चलकर अपने परिवार, समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित भाव से काम कर सके। बहुआयामी शिक्षण विधियों द्वारा विद्यार्थी का समुचित विकास हमारी प्राथमिकता है। हमारा सदैव यही प्रयास रहता है कि विद्यार्थी सफलता का पथ प्रशस्त करते हुए आदर्श नागरिक बने। शिक्षण और शिक्षणोतर गतिविधियों द्वारा संस्थान ने पिछले 30 वर्षो से सीमांत जिले के ज्ञानपिपासु विद्यार्थियों को जो शैक्षणिक ऊँचाईयां प्रदान की है वो हमारे लिए गौरव का विषय है। सरस्वती के विद्यार्थीयो ने बोर्ड परीक्षा, खेल प्रतिस्पर्धा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर इस अंचल का मुख उज्जवल किया है।
संस्थान सतत् ‘‘कर्म-पथ’’ पर अग्रसर है। ग्रामीण और नगरीय परिवेश के पिछड़े विद्यार्थियों को रियायती दर से गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर, यह संस्थान ‘‘दूर कुन्ज कानन’’ में खिलने वाले पुष्पों के रूपक को सार्थक कर रहा है।
प्रबुद्धजनों से सादर अनुरोध करता हूँ कि कृपया आप समय निकाल कर एक बार विद्यालय पधार कर, विद्यालय की शैक्षणिक, सहशैक्षणिक एवं भौतिक व्यवस्थाओं का अवलोकन जरूर करे ताकि आपको लगे कि संस्थान विद्यार्थी विकास के लिए कितने समर्पित भाव से कार्य कर रहा है। संस्थान काल्पनिक एवं लुभावनी बातो पर विश्वास नहीं करते हुए वर्ष 1990 से शैक्षणिक सफर पर अनवरत अग्रसर है। वर्तमान तकनीकी युग में शिक्षा का यह पथ बहुत ही कठिन है। आपके सहयोग एवं मार्गदर्शन से हम अपने लक्ष्य में निरन्तर सफल होते रहे है एवं हमे विश्वास है कि सफलता का यह क्रम आगे भी जारी रहेगा। हमारे वर्तमान तक के शैक्षणिक सफर में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी रहे प्रबुद्धजनों, अभिभावकों, शिक्षक बन्धुओं का हार्दिक आभार एवं धन्यवाद …।

बालसिंह राठौड़
निदेशक