Principal message

Pushp Kanwar Sekhawat S

‘‘शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य की अन्तर्निहित क्षमताओं को पूर्ण विकसित करना है।’’  उक्त पंक्तियों को आधार मानते हुए विगत 30 वर्षाें से संस्थान निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। संस्थान का प्रारम्भ से ही प्रमुख उद्देश्य रहा है कि बालक को शिक्षा व विद्या दोनों में पूर्ण बनाया जाये। शिक्षा एवं विद्या ज्ञान के दो प्रमुख अंग माने गये है। शिक्षा जीविकोपार्जन एवं लोकव्यवहार में मनुष्य को आत्मनिर्भरता प्रदान करती है। विद्या मान्यताओं, भावनाओं, आकांक्षाओं एवं आदर्शोें का निर्माण कर मनुष्य को पूर्ण बनाती है। विद्या का अर्थ है दृष्टिकोण का परिष्कार, चिंतन और भावोल्लास से उत्कृष्टता का निखार। विद्या के बिना मनुष्य के अन्तराल में छिपी हुई रहस्यमय दिव्यता का विकास नहीं हो सकता है। मानवता एवं महानता की आन्तरिक श्रेष्ठता का विकास जिस क्रम से होता है, उसी क्रम से मनुष्य की आकांक्षाएं, विचारधाराएं और गतिविधियाँ उच्च स्तरीय बनती है। शिक्षा और विद्या दोनों में विद्यार्थी को परिपूर्ण बनाना संस्थान का प्रारम्भ से ध्येय रहा है।

विगत 30 वर्षाें के शैक्षणिक, सहशैक्षणिक व प्रशासनिक सफर में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहभागी प्रबुद्धजनों व अभिभावकों का आभार। संस्थान से विद्यार्जन कर कर्तव्य पथ पर अग्रसर स्नेहिल विद्यार्थियों को शुभाशीष।

 

पुष्प कंवर शेखावत

प्रधानाचार्य